हम बेशक आधुनिकता का ढोंग रच सकते हैं लेकिन सच तो यह है कि हमारा समाज एक पढा लिखा अनपढ़ समाज है, जो अवैज्ञानिक, अतार्किक, अमानवीय जातिवादी परंपरा को आज भी सीने से चिपकाए घूम रहा है। गांव-देहात के साथ साथ शहरों में भी जाति-व्यवस्था का प्रभाव प्रत्यक्ष देखा जा सकता है, जो हमारी आधुनिकता, प्रगतिशीलता और शिक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। यूँ तो जातिवाद देश की प्रगति की राह में अवरोध तो है ही, साथ ही दलित महिलाओं पर यौन शोषण व बलात्कार का एक धारदार हथियार भी है, जो कथित ऊंची जाति के मर्द अपना वर्चस्व स्थापित करने और निचली जाति के लोगों को सबक सिखाने के लिए प्रयोग करते हैं। संविधान द्वारा प्राप्त समानता के अधिकारों के बाद भी निम्न वर्ग की महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार के साथ साथ उन्हें निवस्त्र घुमाने की घटना आये दिन सुनने को मिलती है।
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2019 में प्रतिदिन रेप के 88 केस दर्ज किए गए और पूरे देश मे लगभग 32,033 केस दर्ज हुए जिनमे से 11% पीड़िता दलित वर्ग से आती हैं।
भय बनाये रखना
कथित ऊँची जातियों द्वारा दलितोंपर अपने वर्चस्व को कायम करने, अपना खौफ बनाये रखने, अपना नियंत्रण बनाये रखने एवं अपने शक्ति प्रदर्शन हेतु दलित महिलाओं का बलात्कार किया जाता है। परिवार के पुरुष भी इस अपमानजनक कृत्य को विष की भांति विवश हो पी जाते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड बताता है कि रोजाना करीब 4 दलित स्त्रियों का बलात्कार होता है।
गांव देहातों में जब कोई दलित/आदिवासी परिवार जाति सम्बन्धी रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ने की कोशिश करता है या संवैधानिक समानता के अधिकार का प्रयोग करता है या शिक्षित हो उच्च जाति के समकक्ष खड़े होने की जुर्रत करता है तो उस परिवार की महिलाओं से बलात्कार कर उन परिवार के पुरुषों से बदला लिया जाता है। बलात्कार असल मे दलितों का दमन करने का एक औजार बन गया।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2019 में महिलाओं और दलितों के प्रति अपराध में 7% की वृद्धि हुई है।
जातीय बलात्कार
हाथरस दलित लड़की की सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या ने एक बार फिर दलित महिलाओं के यौन शोषण के सवाल को खड़ा किया है। आये दिन विभिन्न राज्यों से दलित स्त्रियों पर हो रहे यौन शोषण और बलात्कार के प्रकरण प्रकाश में आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में एक 22 वर्ष की युवती ने एक पंडित पर बहला-फुसला कर बलात्कार का आरोप लगाया तो वही मध्य प्रदेश के सतना जिले की महिला ने बताया कि उसके साथ उच्च जाति के 3 लड़कों ने कुछ महीनों तक बलात्कार किया।
2014 के उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के शहादत गंज गांव में 2 नाबालिग चचेरी बहनों के साथ महज़ इसीलिए सामूहिक बलात्कार कर निर्मम हत्या कर दी गयी क्योंकि उन्होंने तथाकथित ऊंची जाति के व्यक्ति से वेतन में 3 रुपए बढाने की मांग की थी।
ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जो बताते हैं कि दलित महिलाओं पर यौन शोषण/बलात्कार, उनकी जातियों को चिन्हित कर किया जाता है, जोकि बेहद अमानवीय है।
दलित महिला को जाति की दोहरी मार झेलनी पड़ती है क्योंकि दलित पुरुषों के साथ जातीय भेदभाव होता है परंतु दलित महिलाओं के साथ जातीय और लैंगिक भेदभाव हैं।
Good thinking
सामाजिक दीमक जो समाज को बदनाम ओर खोखला कर रहा है
जरूरी ओर अच्छी जानकारी
महत्वपूर्ण जानकारियां एवं आँकड़ो के साथ जानकारीयों को प्रस्तुत किया गया गया है